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कहानी उस जगह की जहां भगवान का निवास हैं? भाग-०१

        दोस्तो मैं एक एनडीआरएफ (NDRF जवान) का हूं! मैंने बहुत जगहों पर लोगो को बचानेका काम किया है! हमें सरकार उसका मोबदला मतलब पेमेंट भी देती हैं लेकिन उससे भी ज्यादा हमें लोगो का प्यार मिलता है,आशीर्वाद मिलता हैं!
       मैं जो बात करने जा रहा हूं वह बात उस जगह की है,जिसको हम ‘भगवान का दिया हुवा तोहफा’ (गॉड्स गिफ्ट) भी कहते है! उस जगह का नाम केरल हैं जहां लोग बहुत हैं अच्छे और भारत के सबसे साक्षर मै गिनती होती हैं! वहां ऐसी घटना होना ओर बहुत जादा नुकसान होना,बहुत ही दुःखद है! जिसके लिए जिसको ज़िम्मेदार हैं, उसकी चर्चा हम यहां नहीं करेंगे,उसके लिए बड़े–बड़े लोग हैं!
       मैं आरआरसी चेन्नई में था सुबह का हमारा रूटीन क्लास चल रहा था सुबह के लगभग ११ बजे थे! हमारा दस मिनिट का ब्रेक हूवा था, की हमें मतलब हमारे टिम कमांडर को मेसेज आया कि आपके यहां से, जल्दी से जल्दी एक टिम केरल के लिए जाएगी , आपकी टीम एयर लिफ्ट होगी जिसके लिए, उनको आईएनएस रजाली भेज दो वहा बाकी टीमें इक्कठा हो रही है, वैसे तो हमारा बटालियन चेन्नई से दूर हैं! लेकिन आईएनएस रजाली के पास हैं, दूर तो हम ही थे.हमें ही जल्दी पहुचना था, हमारे साथ चेन्नई से दो साहब और बाकी सब हम जवान थे, हमें हर 15 मी. में फोन आ रहा था कि आप लोग कहा हो! हम लगभग दोपहर के २ बजे आईएनएस रजाली पहुंच गए, वहा जाने के बाद पता चला कि यहां तो पूरी बटालियन खड़ी है, और कुछ टीमें तो चली भी गई ही, क्यों कि हमें लग रहा था, की यह बिलकुल बारिश की संभावना नहीं हैं,यहां तो धूप हैं हवा भी नॉर्मल इस लिए, हमें लग रहा था कि हमें लेके जाएंगे और वैसे ही वापस आना है, मन में यह आना स्वाभाविक था, जो कि हम २०१५ मै तमिलनाडु के तट पर स्थित एक जिले में गए थे, लेकिन बारिश बिलकुल नहीं हुई, उसके बाद उसी साल आंध्रप्रदेश के एक जिले मै गए थे वहा, तो बारिश के भरोसे गए लेकिन जबरदस्त धूप निकली हुई थी! कभी कभी मन मै शक आता था कि यहां कुछ अलग हैं, क्यों कि हम न्यूज पर अपडेट देख रहे थे, अब हम आईएनएस के अंदर आ गए, वहा सबको बताया गया क्या करना हैं, क्या नहीं करना है, बाकी टीमों के साथ हमें मिक्स किया गया! हम अंदर आए लगभग दोपहर ३ बजे  होंगे हमें रनवे पर ले गए वहां से टीमें निकलना शुरू हुई थी! हमारे टिम का नंबर सबसे लास्ट था! वह दोनों टीमें सभी सामान लेकर हमारे पहले निकल गए! बोला जाता था कि यहां से लगभग एक घंटा.३० मी. लगेगा हमें वहा बिठाया गया था!
            उसी बीच मैंने घर में सबसे बात भी कर ली क्यों की दोस्त बता रहें थे कि वह लाइट भी नहीं है मोबाइल मै चार्ज भी करना मुश्किल हैं, मैंने मेरे घर में पिताजी को और मेरे धर्मपत्नी को फोन करके बताया कि हम कुछ दिन के लिए केरल जा रहे हैं, वहा बहुत बारिश हो रही है और हम बचाव कार्य के लिए जा रहे हैं, लेकिन पिताजी बोले अपने यहां तो बिलकुल बारिश नहीं हैं, मेरे पिताजी किसान हैं, पिताजी अभीभी खेती ही करते है, उस समय हमारे आया फसल सुख रही थी, फसल को बिलकुल पानी नहीं था, इसलिए स्वाभाविक हैं कि, उनको लगेगा ही, यहां  भी बारिश होनी चाहिए, उन्होंने मुझे हसते हुए, कहा कि बेटा जाएगा तो थोड़ा बारिश अपने इधर भी भेज देना, मैंने भी हा कह दिया, सबका हाल चाल पूचके, पिताजी से फोन रखने की इजाजत मांगी उन्होंने फोन रखते समय कहा की लोगोकी जान बचाते हुवे अपनी भी बचना 😞 खुद का खयाल रखना, और फोन को कट कर दिया, उसके बाद मेरी पत्नी को फोन किया, उससे जादा बात नहीं कर पाया,क्यों कि अब फ्लाइट का समय हो चुका था और अब मेरे बहन के साथ भी बात करनी थी, इसलिये मैंने उससे कम बात करके फोन को काट दिया,उसके बाद मेरी बहन को फोन पर बात करके बताया कि मै केरल में आपदा प्रबंधन कार्य करने जा रहा हूं , लेकिन उससे भी मै  जादा  बात नकी कर सका क्यों की समय हो चुका था..!!!
               अब हम जिस फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे वह अब आ गई थी,लेकिन फ्लाइट रात को करीब ७.४५ मै वहा पहुंची. उससे पहले हमें शाम को आईएनएस रजाली के ऑफिसर ने हमारे लिए,चाय का इंतजाम किया, (चाय और खाने के लिए उनका भी धन्यवाद)उसके बाद रात के ८  बजे हम एकदम बढ़िया बिरयानी आईएनएस के ऑफिसर ने खिलाया,उसके बाद हमारे, टिम कमांडर ने फॉलन करके हमें ब्रीफ कीया, उसके बाद हमें फ्लाइट लेफ्टिनेंट सर ने भी ब्रीफ किया,उसके साथ–साथ बताया गया की क्या करना है, कैसे बैठना हैं,सब बताया गया! उसके बाद हमने उड़ान भरी, मेरे साथ मेरे दोस्त थे, हमारी टिम सबसे लास्ट थी, इसलिए सामान नहीं था, और हम बहुत कम लोग थे! जगह बहुत थी, जैसे–जैस  उपर जा रहे थे, वैसे वैसे कानोपर प्रेशर आ रहा था, मेरा फ्लाइट में पहला टाइम नहीं था, मै इससे पहले भी फ्लाइट मै गया था लेकिन वह प्राइवेट कंपनी के फ्लाइट थी,और उसमे आवाज थोड़ा कम आता हैं इसमें बहुत आवाज आता है,(मै अंडमान निकोबार द्वीपसमूह से छुट्टी के लिए आया और वापस गया था) मुझे कान के प्रेशर बारे में पता था! और मै एक गोताखोर हूं तो प्रेशर के बारे में अच्छी तरह से जानता हूं! मेरे दोस्तो को तो किसीको उल्टी होने जैसा हो रहा था, तो किसीको चक्कर आने लगा था, लेकिन हम तीन दोस्त ऐसे थे,जो हम लास्ट तक साथ रहें और साथ मै काम भी किया! हम तो एकदम मजा करके गए, हमें बिलकुल तकलीफ नहीं हुईं, खुब एन्जॉय करते हुए गए!
               अब हम रात के तकरीबन १० बजे आईएनएस गरुड़ कोच्चि पहुंच गए, वहा हल्की हल्की बारिश हो रही थीं,हमारे से पहले आयी हुई टीमें अभितक यही थी........ अभी बाकी हैं.....
उसका भी प्रसारण जल्दी ही होगा...!
संपर्क:–📞09404481914(MH) 
📱08940428483(TN)
Email:–🖥️babanborde@gmail.com

          (कहानी उस जगह की जहां भगवान का निवास हैं...???)
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